जानें श्री घृष्णेश्वर मंदिर के पीछे की पौराणिक कथा और महत्व । श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा हिंदी में । Shree Grishneshwar Jyotirlinga History and Story in Hindi

श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा हिंदी में 



सम्बद्धता हिंदू धर्म
देवताशिव (घृष्‍णेश्‍वर )
अवस्थिति महाराष्ट्र में औरंगाबाद के निकट दौलताबाद
निर्मातामालोजी राजे भोंसले, शिवाजी के पितामह जीर्णोद्धारक-अहिल्याबाई होल्कर
Phone02437244585
AddressMahesh Kumar Agnihotri Ellora, Verul, Maharashtra 431102





श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग


Grishneshwar Jyotirlinga Temple: शिवभक्त घुश्मा के कहने पर ज्योतिर्लिंग के रूप में हुए थे प्रकट, पढ़ें यह कथा घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास व कथा Grishneshwar Jyotirlinga History Story in Hindi 12 ज्योतिर्लिंगों में अंतिम है घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग, मान्यता है कि इसके दर्शन से सुखों में वृद्धि होती है Jyotirlinga: भगवान शिव का 12वां ज्योतिर्लिंग है घृष्णेश्वर, यहां भक्त के कहने पर विराजे थे शिव



यह ज्योतिलि महाराष्ट्र प्रान्त के औरंगाबाद से 33 कि.मी. की दूरी पर वेरूल गांव के समीप स्थित है। द्वादश ज्योतिलिंग में यह अन्तिम ज्योतिर्लिंग है इन्हें घृष्णेश्वर भी कहा जाता है। 


इस ज्योतिर्लिंग की कथा पुराणों में इस तरह हैं


         एक बार राजा एल शिकार हेतु वन में गया और शिकार खेलते-खेलते ऋषि मुनियों के 5 ॐ आश्रम में जा घुसा और वहाँ रहने वाले प्राणियों की हत्या भी राजा एल ने कर दी। यह देखकर ॐ दुखित ऋषि मुनियों ने राजा को शाप दिया। उस शाप से राजा के सर्वांग में कीड़े पड़ गये। तब राजा वन में भटकने लगा। भटकते-भटकते प्यास से उसका गला सूखने लगा। अन्ततः एक स्थान पर गाय के खुर से बने गड्ढों में थोड़ा पानी राजा को दिखाई दिया। जैसे की वह पानी राजा ने पीया एक चमत्कार हुआ और उसका शरीर कीड़ों से मुक्त हो गया। फिर उसी स्थान पर राजा ने तपस्या की। फलस्वरूप राजा पर ब्रह्मदेव प्रसन्न हुए। ब्रह्मदेव ने उसी स्थान पर अष्टतीर्थों की प्रतिस्थापना करवाई। पास में ही एक विशाल पवित्र सरोवर भी बनवाया। उसी ब्रह्म सरोवर का फ्र नाम आगे चलकर शिवालय रखा गया। 


           दक्षिण दिशा स्थित देव पर्वत पर अपनी पति परायणा सुंदर पत्नी सुदेहा के साथ भारद्वाज ■ गोत्र वाला सुधर्मा नाम वेदज्ञ ब्राह्मण रहता था। सुदेहा के यहाँ कोई संतान नहीं हुई, इस कारण वह अत्यंत दुःखी रहती थी। वह आये दिन अपने पड़ोसियों के व्यंग्य बाणों तथा अपने अपमान आदि की बात कहती परंतु तत्वज्ञ सुधर्मा इधर नहीं देते थे। अन्ततः एक दिन आत्माघात की धमकी देकर सुदेहा ने अपने पति को दूसरे विवाह के लिए राजी कर लिया। अपनी धुश्मा को बुलाकर उसको अपने पति से विवाह के लिये राजी कर लिया और किसी प्रकार की ईर्ष्या न करने का दोनों को आश्वासन दिया।


       समय बीतने पर धुश्मा पुत्रवती हुई और यशा समय उस पुत्र का विवाह हुआ इधर यद्यपि सुधर्मा और धुश्मा दोनों ही सुदेहा का बहुत आदर करते थे परंतु सुदेहा में ईर्ष्या द्वेष इतना परिपक्व क और सुदृढ़ हो गया था कि उसने धुश्मा के साते हुए युवा बालक की हत्या कर दी और शव को समीपस्थ तालाब में फेंक दिया।


Grishneshwar Jyotirlinga Temple: शिवभक्त घुश्मा के कहने पर ज्योतिर्लिंग के रूप में हुए थे प्रकट, पढ़ें यह कथा घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास व कथा Grishneshwar Jyotirlinga History Story in Hindi 12 ज्योतिर्लिंगों में अंतिम है घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग, मान्यता है कि इसके दर्शन से सुखों में वृद्धि होती है Jyotirlinga: भगवान शिव का 12वां ज्योतिर्लिंग है घृष्णेश्वर, यहां भक्त के कहने पर विराजे थे शिव


                प्रातः काल घर में कोहराम मच गया। धुश्मा पर तो दुःख का तुषारापात हो गया, परंतु व्याकुल होते हुए भी धुश्मा ने नित्य की भांति पूजन नहीं छोड़ा। वह तालाब पर जाकर 100 शिवलिंग बनाकर उन्हें पूजने लगी। ज्योंही विसर्जन करके वह घर की ओर मुड़ी त्योंही उसे अपना पुत्र । फ्र तालाब पर खड़ा मिला और शिवजी ने खुशी से सुदेहा के पाप की पोल खोल दी और उसे मारने ॐ के लिये वे उद्यत हो गए। धुश्मा ने जोड़कर शिवजी से विनती की और उनसे सुदेहा का 5 अपराध क्षमा करने को कहा। इसके अतिरिक्त धुश्मा ने अत्यंत विनीत शब्दों में शिवजी से वनिती ॐ की कि यदि वह उस पर प्रसन्न हैं तो संसार की रक्षा के लिये सदा यहीं निवास करें।


       शिवजी ने उसकी प्रार्थना स्वीकार कर ली और धुश्मेश नाम से अपने शुभ ज्योतिर्लिंग द्वारा वहां स्थित हो गये।


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