क्यों इस ज्योतिर्लिंग से श्री राम रखता है तालुगू । श्री रामेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा हिंदी में। जानें श्री रामेश्वरम मंदिर के पीछे की पौराणिक कथा और महत्व

श्री रामेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा हिंदी में 




सम्बद्धता हिंदू धर्म
देवताशिव (रामेश्वर)
शैली द्वविड़ वास्तु
अवस्थितिरामेश्वरम शहर, तमिल नाडु
निर्मातालंका के राजा पराक्रमबाहु जीर्णोद्धारक - रामनाथपुरम् के राजा उडैयान सेतुपति
स्थापित ११७३ ई• में (1173)
AddressRameswaram, Tamil Nadu 623526
Phone04573 221 223





श्री रामेश्वर ज्योतिर्लिंग 


त्रेतायुग में स्वयं श्रीराम ने की थी रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग की स्थापना भगवान राम द्वारा स्थापित रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग के दर्शन से प्राप्त करें पुण्य-फल रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का इतिहास व कथा Rameshwaram Jyotirlinga History Story in Hindi रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की पावन कथा रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग कथा हिंदी में Rameshwara Jyotirlinga History and Story in Hindi


        भारत के दक्षिण छोर पर दक्षिण - पूर्व के कोने में रामेश्वर का समुद्र तीर्थ है। ज्योतिर्लिंग के रूप में यह तीर्थ चारों धाम में से एक पवित्र स्थान है। जहां ज्योतिर्लिंग है वहां विशाल और भव्य मंदिर है। यह मंदिर विश्व में वास्तुशिल्प का एक श्रेष्ठ नमूना है। तमिलनाडु राज्य का रामनाड  जिले में बालू के एक विशाल नदी पर यह मंदिर बना है। जो दर्शनीय और दिव्य साक्षात्कारी है। श्री रामेश्वर के इस  भव्य दिव्य मंदिर के प्रवेश द्वार पर दस (10) मंजिलों वाला गोपुर है। उसका बाधाकाम, नक्काशी, मूर्ति और चोटिया देखकर सभी दंग रह जाते हैं। भगवान के विराट रूप का अनुभव यहां होता है।  भक्तगाणों  का सांकुचित मन यहां अपने आप विशाल बन जाता हैण 

स्कंध  पुराण, शिव पुराण आदि ग्रंथों में रामेश्वर का महत्व स्पष्ट किया है ।  


श्री रामेश्वर की कथा इस प्रकार है । 


       सीता जी की खोज में भटकते श्री राम जी की सुग्रीव से मित्रता हुई और उनके विशेष दूत श्री हनुमान जी की सहायता से सीता जी का पता चला । तब श्री राम, रावण अभियान करने के उद्देश्य से वानर सेना को संगठित कर दक्षिण के समुद्र तट पर पहुंचे और उस पार करने का चिंता करने  लगे । शिव भक्त श्री राम जी की चिंतित देख लक्ष्मण तथा सुग्रीव आदि ने समझाया परंतु शिव जी द्वारा प्राप्त बल वाले रावण के संबंध में वे निश्चिंत ना हुए । इस बीच उन्हें प्यास लगी और उन्होंने जल मांगा परंतु ज्योंहि वह जल पीने लगे त्योंहि  उन्हें  शिव पूजन करने की स्मृति जाग उठी और उन्होंने लिंग बनाकर  षोडशोपचार  से  विधिवत शिवजी की आराधना की । रामजी ने बड़ी ही  अतरवाणी  से श्रद्धापूर्वक से प्रार्थना की और उनका उच्च स्वर में जय जयकार करते हुए नृत्य तथा मलनाद (मुंह से अगड़ बम - बम शब्द निकालना) किया तो शिव जी प्रसन्न हो रामजी के समक्ष प्रकट हो गए और उनसे वर मांगने को कहने लगे । रामजी ने प्रकट हो शिव जी की बहुत ही भक्ति पूर्वक अर्चना - वंदना की और उनसे कहा कि यदि आप मुझ पर प्रसन्न है तो आप संसार को पवित्र करने और संसारियो  के उपकार के लिए यहां निवास कीजिए ।  शिव जी ने (एवमस्त) कहकर राम जी की प्रार्थना स्वीकार की और शिवलिंग के रूप में रामेश्वर नाम से अपनी स्थिति की और तबसे संसारी उनकी पूजा अर्चना करते चले आ रहा है । 



त्रेतायुग में स्वयं श्रीराम ने की थी रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग की स्थापना भगवान राम द्वारा स्थापित रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग के दर्शन से प्राप्त करें पुण्य-फल रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का इतिहास व कथा Rameshwaram Jyotirlinga History Story in Hindi रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की पावन कथा रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग कथा हिंदी में Rameshwara Jyotirlinga History and Story in Hindi



       शिवजी की कृपा से ही श्री राम जी रावण आदि राक्षसों को मारकर विजयो के धर्म रक्षक कहलाए । अतः श्री रामेश्वर महादेव जी का जो दर्शन पूजा करता है । रामेश्वर ज्योर्तिलिंग पर दिव्य गंगाजल चढ़ता है । वह व्यक्ति सुखी जीवन मंगल मय ढंग से जीता है और अंत में केवल मोक्ष प्राप्त करता  हैं । 




             काशी का गंगाजल श्री रामेश्वर को ले जाना यहां चारों धाम की यात्रा से भी बड़ा पुणे कर्म माना जाता है ।  काशी के बिंदुमाधव के पास गंगा स्नान करके  वहां का पवित्र जल श्री  रामेश्वर जी के शिवलिंग को अर्पित किया जाता है ।  और श्री रामेश्वर के धनुष  कोटी सेतुमाघव में स्नान करके वहां की थोड़ी बालू लेकर उसे प्रयोग (इलाहाबाद) के वेणी   माधव के पास त्रिवेणी संगम में समर्पित किया जाता है ।  फिर त्रिवेणी संगम का गंगाजल घर लाया जाता है ।  ऐसे करने पर ही चारों धाम की यात्रा सफल मानी जाती है । 

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